कदापि अब हर इंसान बदल गया है..!


कैसी रीत बनगयी हे भगवान्
पैसे के चक्कर में खो गया इंसान
हरि तो श्री कृष्ण का है दूजा नाम
मगर हरे रंग में खो गया है सारा जहाँ..!

तीन पग में जहाँ नपा था तीनो लोक
धरती अम्बर और पाताल के लोग
अब तो पग पग के लिए मचा है होड़
एक गज के लिए लग रहे हैं दौड़..!

बाप बेटे का कहाँ भाई भाई का कहाँ
अब तो कहना है की माँ बाप रहें कहाँ
चंद कागज के टुकड़ों से दुनिया में
किसी की कद कैसे मापी जाती है..!

हे वामन अब वो घड़ी आ गयी
आपके आने का समय हो गया है
कलयुग का अंत करो भगवान
कदापि अब हर इंसान बदल गया है..!

अमरदीप गौरव

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